उदास आँखों में छुपी झुर्रियों की दास्तान (भाग -11)
(रात में बेटी के फोन की आवाज़ से जग कर वे,अपना पुराना जीवन याद करने लगती हैं.उनकी चार बेटियों और दो बेटों से घर गुलज़ार रहता. पति गाँव के स्कूल में शिक्षक थे. बड़ी दो बेटियों की शादी हो गयी थी. बड़ा...
View Articleउदास आँखों में छुपी झुर्रियों की दास्तान (भाग -12)
(रात में बेटी के फोन की आवाज़ से जग कर वे,अपना पुराना जीवन याद करने लगती हैं.उनकी चार बेटियों और दो बेटों से घर गुलज़ार रहता. पति गाँव के स्कूल में शिक्षक थे. बड़ी दो बेटियों की शादी हो गयी थी. बड़ा...
View Articleउदास आँखों में छुपी झुर्रियों की दास्तान (भाग -13)
(रात में बेटी के फोन की आवाज़ से जग कर वे,अपना पुराना जीवन याद करने लगती हैं.उनकी चार बेटियों और दो बेटों से घर गुलज़ार रहता. पति गाँव के स्कूल में शिक्षक थे. बड़ी दो बेटियों की शादी हो गयी थी. बड़ा...
View Articleउदास आँखों में छुपी झुर्रियों की दास्तान (समापन किस्त )
(रात में बेटी के फोन की आवाज़ से जग कर वे,अपना पुराना जीवन याद करने लगती हैं.उनकी चार बेटियों और दो बेटों से घर गुलज़ार रहता. पति गाँव के स्कूल में शिक्षक थे. बड़ी दो बेटियों की शादी हो गयी थी. बड़ा...
View Articleजब पाठकों ने लिखवा ली कहानी
ये कहना जरा भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह लम्बी कहानी सचमुच पाठकों ने ही लिखवा ली. जैसा कि पहले भी मैने जिक्र किया ,छः पेज की कहानी को ४ पेज में कर के , सिर्फ ९ मिनट में समेटी थी ..... और सोचा ,अब तो...
View Articleआँखों का अनकहा सच
(ये वो कहानी नहीं, जिसका जिक्र मैने अपनी पिछली पोस्ट में किया था....वो तो किस्तों वाली होगी...कुछ दिन चलेगी....यह भी थोड़ी लम्बी तो है..पर एक पोस्ट में ही समेटदिया है )दोनों बच्चे शोर कर रहें...
View Articleपराग, तुम भी...
शीना ने माथे पर हाथ लगा कर देखा..."बुखार तो नहीं है...फिर क्या हुआ""पता नहीं यार....नॉट फिलिंग वेल.....हैविंग सिव्हियर हेडेक ....आज ऑफिस नहीं जाउंगी ""ओह!!..चलो कोई नहीं..तुम आराम करो..."और शीना तौलिया...
View Articleहैप्पी बर्थडे ... मन का पाखी
'मन का पाखी'ने एक वर्ष की उड़ान भर ली और अब तक थका हो...ऐसा महसूस तो होता नहीं. वैसे भी मन के पाखी को इस ब्लॉग आकाश की खबर बहुत दिनों बाद चली. और गलती मेरी थी, पिछले 5 साल से नेट पर सक्रिय हूँ पर...
View Articleआज पढने के बदले सुन लें कहानी...."कशमकश"
कुछ कहानियाँ ज़ेहन में चल रही हैं...बस उन्हें शब्दों में ढालने का समय नहीं मिल पा रहा....पर ये कहानी भी आप सबों के लिए नई ही होगी...यह मेरे ब्लॉग की पहली पोस्ट थी और इसे मैने आकशवाणी के लिए भी पढ़ा था....
View Articleचुभन, टूटते सपनो के किरचों की
अपना तकिया,अपना बिस्तर अपनी दीवारें...और अपना खाली-खाली सा कमरा...जिसने पूरे चौबीस साल तक उसकी हंसी-ख़ुशी-गम -आँसू सब देखे थे. उसके ग़मज़दा होने पर कभी पुचकार कर अंक में भर लेता , कभी शिकायत करता...
View Articleचुभन, टूटते सपनो के किरचों की ( कहानी -२)
(छोटी बहन सिम्मी ने ,एक लड़के रोहन से अपने प्रेम की बात बतायी थी. रोहन , अपनी माँ के साथ अकेले रहता था..उसके माता-पिता का डिवोर्स हो चुका था. ) गतांक से आगे आर्यन को ले, घर लौट आई थी पर पूरे समय उसके...
View Articleचुभन, टूटते सपनो के किरचों की ( कहानी --समापन किस्त )
आर्यन के टेस्ट चल रहें हैं..सुबह से उसे पोएम रटवा कर परेशान. अब शरारत से या सचमुच पर हर बार वो एक लाइन गलत बोल जाता. वो डाँटती तो , कभी मुहँ फुला लेता...और कभी अड़ के बैठ जाता...अब पोएम सुनाएगा ही...
View Articleकहानी 'छोटी भाभी'की
इन दिनों व्यस्तता कुछ ऐसी चल रही है कि कहानी के इतने प्लॉट्स दिमाग में होते हुए भी...उन्हें विस्तार देने का मौका नहीं मिल पा रहा...और ख्याल आया...कहानी सुनवाई तो जा ही सकती है. ये कहानी भी आकशवाणी से...
View Articleकच्चे बखिए से रिश्ते
( इस कहानी की शुरूआती पंक्तियाँ आपलोगों को कहीं पढ़ी हुई लगेंगी. अब उस कविता से ये कहानी निकल कर आई या फिर इस कहानी से वो कविता...ये निर्णय आप करें :) )ताला खोल,थके कदमो से...घर के अंदर प्रवेश...
View Articleकच्चे बखिए से रिश्ते (समापन किस्त )
(सरिता,अपनी सहेली के पति को अपने कॉलेज में ही लेक्चरर के पद पर नियुक्त करवाने में सहायता करती है. कुछ ही दिनों बाद उसकी सहेली की मृत्यु हो जाती है और उसके पति वीरेंद्र, कॉलेज में ज्यादातर समय ,सरिता के...
View Articleआखिर कब तक ??
{सबसे पहले तो क्षमाप्राथी हूँ ,पाठकों...बहुत दिनों बाद कोई कहानी लिखी है...जबकि महीनो पहले खुद से और आप सबसे, एक लम्बी कहानी लिखने का वायदा भी किया था...कहानी रोज ही दस्तक देती है...पर दूसरे ब्लॉग ने...
View Articleहाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी...
उसकी दुकान नाव्या के कॉलेज के रास्ते में थी. एक दिन, वो केमिस्ट्री प्रैक्टिकल की किताब लेने पहुंची तो पाया ,अरे!! ये तो हुबहू उसके एक पसंदीदा कलाकार सा दिखता है. पर उसके विपरीत बेहद संजीदा. एक...
View Articleहाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी. ..(2)
( नाव्या कॉलेज में पढनेवाली एक धनाढ्य पिता की पुत्री है....ख़ूबसूरत है....पढ़ने में अव्वल है....किन्तु अकेलापन उसका साथी है. सबकी प्रशंसात्मक नज़रों की आदी नाव्या को एक किताब के दुकानवाले की अपने प्रति...
View Articleहाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी. ..(3)
(नाव्या का एक्सीडेंट हो जाता है...और उसे हॉस्पिटल लेकर रितेश नामक एक युवक आता है...जिसकी किताबों की दुकान से वो किताबें लिया करती थी पर रितेश की आँखों में उसके लिए कोई पहचान नहीं उभरती थी. )दूसरे दिन...
View Articleहाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी (समापन किस्त)
(नाव्या का एक्सीडेंट हो जाता है...रितेश उसे हॉस्पिटल लेकर आता है...हॉस्पिटल में जिंदादिल डा. समीर से उसकी मुलाक़ात होती है) सीनियर डॉक्टर राउंड पर आते और वो आस लगाए बैठी होती..शायद उसे छुट्टी दे...
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