जब पाठकों ने लिखवा ली कहानी
ये कहना जरा भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह लम्बी कहानी सचमुच पाठकों ने ही लिखवा ली. जैसा कि पहले भी मैने जिक्र किया ,छः पेज की कहानी को ४ पेज में कर के , सिर्फ ९ मिनट में समेटी थी ..... और सोचा ,अब तो...
View Articleआँखों का अनकहा सच
(ये वो कहानी नहीं, जिसका जिक्र मैने अपनी पिछली पोस्ट में किया था....वो तो किस्तों वाली होगी...कुछ दिन चलेगी....यह भी थोड़ी लम्बी तो है..पर एक पोस्ट में ही समेटदिया है )दोनों बच्चे शोर कर रहें...
View Articleहैप्पी बर्थडे ... मन का पाखी
'मन का पाखी'ने एक वर्ष की उड़ान भर ली और अब तक थका हो...ऐसा महसूस तो होता नहीं. वैसे भी मन के पाखी को इस ब्लॉग आकाश की खबर बहुत दिनों बाद चली. और गलती मेरी थी, पिछले 5 साल से नेट पर सक्रिय हूँ पर...
View Articleआज पढने के बदले सुन लें कहानी...."कशमकश"
कुछ कहानियाँ ज़ेहन में चल रही हैं...बस उन्हें शब्दों में ढालने का समय नहीं मिल पा रहा....पर ये कहानी भी आप सबों के लिए नई ही होगी...यह मेरे ब्लॉग की पहली पोस्ट थी और इसे मैने आकशवाणी के लिए भी पढ़ा था....
View Articleकहानी 'छोटी भाभी'की
इन दिनों व्यस्तता कुछ ऐसी चल रही है कि कहानी के इतने प्लॉट्स दिमाग में होते हुए भी...उन्हें विस्तार देने का मौका नहीं मिल पा रहा...और ख्याल आया...कहानी सुनवाई तो जा ही सकती है. ये कहानी भी आकशवाणी से...
View Articleकच्चे बखिए से रिश्ते
( इस कहानी की शुरूआती पंक्तियाँ आपलोगों को कहीं पढ़ी हुई लगेंगी. अब उस कविता से ये कहानी निकल कर आई या फिर इस कहानी से वो कविता...ये निर्णय आप करें :) )ताला खोल,थके कदमो से...घर के अंदर प्रवेश...
View Articleकच्चे बखिए से रिश्ते (समापन किस्त )
(सरिता,अपनी सहेली के पति को अपने कॉलेज में ही लेक्चरर के पद पर नियुक्त करवाने में सहायता करती है. कुछ ही दिनों बाद उसकी सहेली की मृत्यु हो जाती है और उसके पति वीरेंद्र, कॉलेज में ज्यादातर समय ,सरिता के...
View Articleआखिर कब तक ??
{सबसे पहले तो क्षमाप्राथी हूँ ,पाठकों...बहुत दिनों बाद कोई कहानी लिखी है...जबकि महीनो पहले खुद से और आप सबसे, एक लम्बी कहानी लिखने का वायदा भी किया था...कहानी रोज ही दस्तक देती है...पर दूसरे ब्लॉग ने...
View Articleहाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी...
उसकी दुकान नाव्या के कॉलेज के रास्ते में थी. एक दिन, वो केमिस्ट्री प्रैक्टिकल की किताब लेने पहुंची तो पाया ,अरे!! ये तो हुबहू उसके एक पसंदीदा कलाकार सा दिखता है. पर उसके विपरीत बेहद संजीदा. एक...
View Articleहाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी. ..(2)
( नाव्या कॉलेज में पढनेवाली एक धनाढ्य पिता की पुत्री है....ख़ूबसूरत है....पढ़ने में अव्वल है....किन्तु अकेलापन उसका साथी है. सबकी प्रशंसात्मक नज़रों की आदी नाव्या को एक किताब के दुकानवाले की अपने प्रति...
View Articleहाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी. ..(3)
(नाव्या का एक्सीडेंट हो जाता है...और उसे हॉस्पिटल लेकर रितेश नामक एक युवक आता है...जिसकी किताबों की दुकान से वो किताबें लिया करती थी पर रितेश की आँखों में उसके लिए कोई पहचान नहीं उभरती थी. )दूसरे दिन...
View Articleहाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी (समापन किस्त)
(नाव्या का एक्सीडेंट हो जाता है...रितेश उसे हॉस्पिटल लेकर आता है...हॉस्पिटल में जिंदादिल डा. समीर से उसकी मुलाक़ात होती है) सीनियर डॉक्टर राउंड पर आते और वो आस लगाए बैठी होती..शायद उसे छुट्टी दे...
View Articleदो वर्ष पूरा होने की ख़ुशी ज्यादा या गम....
२३ सितम्बर को इस ब्लॉग के दो साल हो गए. पर इस बात की ख़ुशी नहीं बल्कि अपराधबोध से मन बोझिल है. पिछले साल इस ब्लॉग पर सिर्फ दो लम्बी कहानियाँ और एक किस्त,वाली बस एक कहानी लिखी.जबकि sept 2009 -sept 2010...
View Articleख़ामोश इल्तिज़ा
तन्वी बालकनी में खड़ी सामने फैले स्याह अँधेरे को घूंट घूंट पीने की कोशिश कर रही थी ,सोचती कुछ ऐसा जादू हो कि वो स्याह अँधेरे में गुम हो जाए और फिर कोई उसे देख न पाए. तभी मोबाईल पर मैसेज टोन बजा, वो चेक...
View Article"टू इन वन".....'मेकिंग ऑफ दिस नॉवेल'एंड 'थैंक्यू नोट्स "
आजकल चलन है,फिल्म रिलीज़ होने के बाद ' Making of the Film 'दिखाए जाते हैं उसी तर्ज़ पर मैंने सोचा, Making of this novel 'भी क्यूँ ना लिख डालूं जब कई रोचक बातें जुडी हुई हैं इस नॉवेल से.मैंने नॉवेल...
View Articleहोठों से आँखों तक का सफ़र (कहानी)
मोबाइल पर एक अनजाना नंबर देख,बड़े बेमन से फोन उठाया.पर दूसरी तरफ से छोटी भाभी की आवाज़ सुनते ही ख़ुशी से चीख पड़ी. इतने सारे सवाल कर डाले कि उन्हें सांस लेने का मौका भी नहीं दिया.मेरे सौ सवालों के बीच वो...
View Articleराम राम करके उपन्यास पूरा हुआ ,अब शुक्रिया कहने की बारी
यह उपन्यास या लम्बी कहानी( आयम स्टिल वेटिंग फॉर यू, शची)जो भी कहें...ख़त्म होने के बाद ही सबका शुक्रिया अदा करने का विचार था ,पर कई अडचनें आ गयीं..और टलता रहा शायद ये टल ही जाता हमेशा के लिए अगर...
View Articleऔर वो चला गया,बिना मुड़े....(लघु उपन्यास )--5
‘नेहा ऽ ऽ ऽ ...‘ किसी ने इतनी मिठास भरी आवाज में पुकारा कि किताबें फेंक, उद्भ्रांत सी चारों तरफ देखने लगी।‘नेहा ऽऽऽ-‘ फिर आवाज आई; मुड़ कर देखा, ओह! कोई नजर तो नहीं आ रहा। परेशान सी इधर-उधर देख ही रही...
View Articleऔर वो चला गया,बिना मुड़े....(लघु उपन्यास )--6
अपने कमरे में पढ़ाई में मन लगाने की कोशिश कर रही थी.इतना डर लग रहा था,बिलकुल भी नहीं पढ़ पा रही थी और ऐसे में में जब बुआ बड़े शौक से गहनों की डिजाइन पसंद कराने उसके कमरे में आईं तो सुलग उठी वह।‘देख तो...
View Articleऔर वो चला गया,बिना मुड़े....(लघु उपन्यास )--7
(नेहा स्कूल की प्रिंसिपल है.अपने केबिन में अचानक शरद को आते देख चौंक जाती है.और उसे शरद से अपनी पहली मुलाकात याद आने लगती हैं.यह भी कि किशोरावस्था में वह कितनी शैतान थी.सबको कैसे तंग करती रहती थी.शरद...
View Articleऔर वो चला गया,बिना मुड़े....(लघु उपन्यास )--समापन किस्त
(नेहा स्कूल की प्रिंसिपल है.अपने केबिन में अचानक शरद को आते देख चौंक जाती है.और उसे शरद से अपनीपहली मुलाकात यादआने लगती हैं.यह भी कि किशोरावस्था में वह कितनी शैतान थी.सबको कैसे तंग करती रहती थी.शरद ने...
View Articleऔर वो चला गया,बिना मुड़े...
दो दिनों की लगातार बारिश के बाद चैंधियाती धूप निखरी थी सफेद कमीज और लाल निक्कर में सजे छोटे-छोटे बच्चों की चहचहाहट से मैंदान गूंज रहा था। अपने केबिन में बैठे इन सबकी प्यारी-प्यारी उछलकूद देखना बड़ा ही...
View Articleऔर वो चला गया,बिना मुड़े...--२ (लघु उपन्यास)
गतांक से आगे (नेहा स्कूल की प्रिंसिपल है.अपने केबिन में अचानक शरद को आते देख चौंक जाती है.और उसे शरद से अपनी पहली मुलाक़ात याद आने लगती हैं.यह भी कि किशोरावस्था में वह कितनी शैतान थी.सबको कैसे तंग करती...
View Articleऔर वो चला गया,बिना मुड़े....(लघु उपन्यास)--3
(नेहा स्कूल की प्रिंसिपल है.अपने केबिन में अचानक शरद को आते देख चौंक जाती है.और उसे शरद से अपनी पहली मुलाक़ातयाद आने लगती हैं.यह भी कि किशोरावस्था में वह कितनी शैतान थी.सबको कैसे तंग करती रहती थी.शरद ने...
View Articleऔर वो चला गया,बिना मुड़े....(लघु उपन्यास )--4
(नेहा स्कूल की प्रिंसिपल है.अपने केबिन में अचानक शरद को आते देख चौंक जाती है.और उसे शरद से अपनी पहली मुलाकात याद आने लगती हैं.यह भी कि किशोरावस्था में वह कितनी शैतान थी.सबको कैसे तंग करती रहती थी.शरद...
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